Monday, June 1, 2020

अनुलोम विलोम क्या है ? IN HINDI

अनुलोम विलोम क्या है ?


प्राणायम की प्रारंभिक क्रिया है अनुलोम और विलोम। इससे मस्तिष्क में ऑक्सिजन लेवल बढ़ता है और फेंफड़े मजबूत होते हैं। कोरोना के संक्रमण के दौर में फेंफड़ों का मजबूत होना आवश्यकत है। अत: जा‍निए कि कैसे करें अनुलोम विलोम प्राणायाम।

अनुलोम विलोम

प्राणायाम करते समय 3 क्रियाएं करते हैं- 

1. पूरक, 
             2. कुंभक      और 
3. रेचक। 


                     इसे ही हठयोगी अभ्यांतर वृत्ति, स्तम्भ वृत्ति और बाह्य वृत्ति कहते हैं। यही अनुलोम और विलोम है। यही नाड़ीशोधन प्रणायाम की प्रारंभिक क्रिया है।




पूरक


1. पूरक - अर्थात नियंत्रित गति से श्वास अंदर लेने की क्रिया को पूरक कहते हैं। श्वास धीरे-धीरे या तेजी से दोनों ही तरीके से जब भीतर खींचते हैं तो उसमें लय और अनुपात का होना आवश्यक है।








कुंभक


2. कुंभक - अंदर की हुई श्वास को क्षमतानुसार रोककर रखने की क्रिया को कुंभक कहते हैं। श्वास को अंदर रोकने की क्रिया को आंतरिक कुंभक और श्वास को बाहर छोड़कर पुन: नहीं लेकर कुछ देर रुकने की क्रिया को बाहरी कुंभक कहते हैं। इसमें भी लय और अनुपात का होना आवश्यक है।





 रेचक


3. रेचक - अंदर ली हुई श्वास को नियंत्रित गति से छोड़ने की क्रिया को रेचक कहते हैं। श्वास धीरे-धीरे या तेजी से दोनों ही तरीके से जब छोड़ते हैं तो उसमें लय और अनुपात का होना आवश्यक है।









                       स्पष्ट शब्दों में कहें, तो अनुलोम-विलोम नाड़ी शोधन प्राणायाम है। नाड़ी जिसे अंग्रेजी में पल्स कहा जाता है और शोधन यानी सफाई। नाड़ियों को साफ करने के लिए इस प्राणायाम को प्राचीन समय से किया जा रहा है। कहा जाता है कि भारतीय ऋषि स्वयं को निरोग रखने के लिए इस प्रकार की योग क्रियाओं का अभ्यास किया करते थे। सरल शब्दों में अनुलोम-विलोम को अल्टरनेट नॉस्ट्रिल ब्रीथिंग एक्सरसाइज कहते हैं, जिसमें नाक के एक छिद्र से सांस लेना, सांस को रोकना, फिर दूसरे छिद्र से सांस छोड़ना होता है।
अनुलोम विलोम कैसे करें।

अनुलोम विलोम प्राणायाम करने का तरीका:


           सबसे पहले दिन के किसी निश्चित पहर का चुनाव करना होगा। सुबह का वक्त योग अभ्यास करने का आदर्श समय माना जाता है। सुबह की ताजी हवा के बीच अनुलोम-विलोम ज्यादा कारगर तरीके से आपको स्वस्थ रखने का काम करेगा। आप चाहें तो शाम के वक्त भी इस प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं। अब नीचे जानिए अनुलोम-विलोम करने का क्रमबद्ध तरीका :

             किसी साफ जगह का चुनाव करें और वहां योग मैट या कोई साफ चादर बिछाएं। ध्यान रहे कि अनुलोम-विलोम के लिए दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं हाथ की मध्य उंगली को ही काम में लाया जाएगा।

           अब आपको पद्मासन की मुद्रा में बैठना होगा, यानी बाएं पैर के पंजे को अपने दाईं जांघ पर और दाएं पैर के पंजे को बाईं जांघ पर रखें। जो पद्मासन की मुद्रा में नहीं बैठ सकते, वो सुखासन मुद्रा में बैठ सकते हैं। वहीं, जिनके लिए जमीन पर बैठना मुश्किल है, वो कुर्सी पर बैठे सकते हैं।

           कमर सीधी रखें और अपनी दोनों आंखें बंद कर लें। एक लंबी गहरी सांस लें और धीरे से छोड़ दें। इसके बाद खुद को एकाग्र करने की कोशिश करें।

        इसके बाद अपने दाहिने (Right) हाथ के अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका को बंद करें और बाई (Left) नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें।

        सांस लेने में जोर न लगाएं, जितना हो सके उतनी गहरी सांस लें।

         अब दाहिने हाथ की मध्य उंगली से बाई नासिका को बंद करें और दाई नासिका से अंगूठे को हटाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें। कुछ सेकंड का विराम लेकर दाई नासिका से गहरी सांस लें।

         अब दाहिने अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें और बाई नासिका से दाहिनी हाथ की मध्य उंगली को हटाकर धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इस प्रकार अनोम-विलोम प्राणायाम का एक चक्र पूरा हो जाएगा। आप एक बार में ऐसे पांच से सात चक्र कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को आप रोज करीब 10 मिनट कर सकते हैं।

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